Thursday, April 21, 2011

फिर खोया हमने...

आज मेरा कुछ खो गया है

कल भी खो गयी थी
वो तुम्हारी काली कलम
तुम्हारी कह रही हूँ
पर जब खोई थी
तब वो मेरी थी
तुम्हारी कह रही हूँ,
क्योकि उसे खोने से लेकर अब तक भी बहुत कुछ खो गया है मेरा

अक्सर मेरी चीज़ें खो जाती है,
तभी तो दे देती  थी
तुम्हे अपने सारे जरुरी कागज़
सहेज लेते थे तुम
उन्हें भी और शायद मुझे भी
या मैं ऐसा सोचती था
पर तुम भी तो नहीं सहेज पाए  
मेरी सबसे प्यारी चीज़
....और अब मैं तुम्हारी उस काली कलम
को अपनी नहीं कह पाऊँगी .