Friday, October 15, 2010

मत आओ तुम

तुम्हारा नहीं आना,

सालता रहा,

तुम्हारे आने की खबर से,

एक द्वन्द है,

आज आओगी,

तुमने नहीं बताया,

कोई बता रहा था,

आज सीढियां चढ़ते हुए,

मना रहा हूँ मैं,

काश! तुम न आओ,

क्यूंकि,

तुम्हारी कुर्सी के खालीपन में,

तुम्हारे न होने में,

लगता है की कुछ है,

कोई मेरा है,

जो यहाँ नहीं है,

तुम्हारे आने से,

मेरा भ्रम टूट जायेगा...

4 comments:

Unknown said...

Bhai, fantastic...

Bakait said...

Thanks bhai...

Unknown said...

wah wah AJS ji, aapne to laajawab kar diya, ye lines (Mehandi Hasan) aapke liye....

Ab Tak Dil-e-khushfaham Ko Tujh Se Hain Ummiiden
ye Aakhirii Shammein Bhii Bujhaane Ke Liye Aa

Bakait said...

Thanks dear...