पन्ने पलट रहा था,
तुम्हारी यादों के,
बहुत सारी थीं,
फिर भी ढूँढ़ रहा था,
तुम्हारी ज्यादतियां,
अभी तीसरा पन्ना ही पलटा था,
की तुम्हारा चुम्बन मिल गया,
किताब बंद हो गयी,
कहीं दूर से तुम्हारे हसने की आवाज़ आई,
हँस रही थी तुम,
मेरी बेबसी पर,
और अच्छा लग रहा था मुझे,
तुम्हारा यूँ खिलखिला के हँसना.
तुम्हारी यादों के,
बहुत सारी थीं,
फिर भी ढूँढ़ रहा था,
तुम्हारी ज्यादतियां,
अभी तीसरा पन्ना ही पलटा था,
की तुम्हारा चुम्बन मिल गया,
किताब बंद हो गयी,
कहीं दूर से तुम्हारे हसने की आवाज़ आई,
हँस रही थी तुम,
मेरी बेबसी पर,
और अच्छा लग रहा था मुझे,
तुम्हारा यूँ खिलखिला के हँसना.
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