नहीं तैयार होता था वो मेरे लिए,
कभी रूठी जो मैं,
तो मनाता भी नहीं था,
न खुद के रूठने पर,
मेरे मानाने का इंतज़ार करता था
न मैं उसे प्यार 'करती थी,
न वो मुझे प्यार करता था,
असल मे,
हम कुछ भी नहीं 'करते' थे,
एक दूसरे के लिए,
पर,
अनायास ही,
सब हो जाता था.
कभी रूठी जो मैं,
तो मनाता भी नहीं था,
न खुद के रूठने पर,
मेरे मानाने का इंतज़ार करता था
न मैं उसे प्यार 'करती थी,
न वो मुझे प्यार करता था,
असल मे,
हम कुछ भी नहीं 'करते' थे,
एक दूसरे के लिए,
पर,
अनायास ही,
सब हो जाता था.
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