"बात तो सिर्फ देखने की हुई थी", एकदम निश्छल मासूमियत पर बच्चो सी संजीदगी से, कहा था उन्होंने।
फिर अपनी गर्दन घुमाई। दोनों की नजरें मिलीं और दोनों मूस्कुरा दिए। बस मुस्कुरायें कहा कुछ भी नहीं और ढेर सारी बातें कर ली।
बात बस इतनी सी थी की उनसे प्यार कर रहे थे। उनकी पीठ बड़ी प्यारी लगती थी हमे। कह दिया देखना है। दिखा दिया उन्होंने ठीक वैसे ही जैसे कोई बच्ची अपनी गुड़ियों का बक्सा दिखाती हो। करीब चले गए उनके।
फिर अपनी गर्दन घुमाई। दोनों की नजरें मिलीं और दोनों मूस्कुरा दिए। बस मुस्कुरायें कहा कुछ भी नहीं और ढेर सारी बातें कर ली।
बात बस इतनी सी थी की उनसे प्यार कर रहे थे। उनकी पीठ बड़ी प्यारी लगती थी हमे। कह दिया देखना है। दिखा दिया उन्होंने ठीक वैसे ही जैसे कोई बच्ची अपनी गुड़ियों का बक्सा दिखाती हो। करीब चले गए उनके।
बस उन्होंने
अपनी भोली सी सूरत बना कर कह दिया की ,"बात तो सिर्फ देखने की हुई थी"।
बहुत ही मामूली सी बात है पर शायद प्रेम इन्ही छोटी छोटी बातों मे छुपा होता है। पता नहीं कैसा होता है ये प्रेम पर लगता है की ऐसी ही अनुभुती को प्रेम कहते हैं जैसा मझे उनकी ये बात सुनकर हुई थी।
पीठ शायद उतनी याद नहीं। ये बात शायद उनको याद भी न हो।
पर आज हमें भले उस प्यारी सी पीठ को याद करने मे दिमाग खपाना पड़े पर जब भी प्रेम जैसी कोई अनुभूति होती है, मैं फिर से सुन लेता हूँ, "बात तो सिर्फ देखने की हुई थी" और हौले से मुस्कुरा देता हूँ।
(based on experiences of Sukhen Da read more at recklesspen.blogspot.in/2014/09/sukhen-das-quest-for-love.html?m=1)
बहुत ही मामूली सी बात है पर शायद प्रेम इन्ही छोटी छोटी बातों मे छुपा होता है। पता नहीं कैसा होता है ये प्रेम पर लगता है की ऐसी ही अनुभुती को प्रेम कहते हैं जैसा मझे उनकी ये बात सुनकर हुई थी।
पीठ शायद उतनी याद नहीं। ये बात शायद उनको याद भी न हो।
पर आज हमें भले उस प्यारी सी पीठ को याद करने मे दिमाग खपाना पड़े पर जब भी प्रेम जैसी कोई अनुभूति होती है, मैं फिर से सुन लेता हूँ, "बात तो सिर्फ देखने की हुई थी" और हौले से मुस्कुरा देता हूँ।
(based on experiences of Sukhen Da read more at recklesspen.blogspot.in/2014/09/sukhen-das-quest-for-love.html?m=1)
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