सर्द हवा ने पत्तों को चूमा जब ,
हुयी ऐसी सनसनाहट
कान गुदगुदा उठे लगा जैसे
हो तुम्हारी आहट।
ये ठंडी हवा कुछ गुनगुनायी
फिर हमसे यूँ टकराई वो ,
लगा जैसे तुम्हारी गीली जुल्फों
को चुकार आई हो
इन बहती हवाओं में
खुसबू उमर रही थी ऐसे
वो खुसबू में डूबा कोई ख़त,
पढ़ रही हो जैसे।
तभी बरस परा आसमान
मेरी आँखों के जैसा
कुचला गया वो समां
मेरी जसज्बतों के जैसा
याद आई वो जगती रातें
गुजारी थी हमने जो रो रो के
दिल से आह निकली अचानक
की कास तुम बेवफा न होते .....
हुयी ऐसी सनसनाहट
कान गुदगुदा उठे लगा जैसे
हो तुम्हारी आहट।
ये ठंडी हवा कुछ गुनगुनायी
फिर हमसे यूँ टकराई वो ,
लगा जैसे तुम्हारी गीली जुल्फों
को चुकार आई हो
इन बहती हवाओं में
खुसबू उमर रही थी ऐसे
वो खुसबू में डूबा कोई ख़त,
पढ़ रही हो जैसे।
तभी बरस परा आसमान
मेरी आँखों के जैसा
कुचला गया वो समां
मेरी जसज्बतों के जैसा
याद आई वो जगती रातें
गुजारी थी हमने जो रो रो के
दिल से आह निकली अचानक
की कास तुम बेवफा न होते .....